अंधकार में प्रकाश हो समाज में प्रभाष हो जिसका नहीं कोई यहाँ उसके लिए आकाश हो। अंधकार में प्रकाश हो समाज में प्रभाष हो जिसका नहीं कोई यहाँ उसके लिए आक...
जिसमें पत्रकार का जनता से सरोकार शून्य के बराबर है। जिसमें पत्रकार का जनता से सरोकार शून्य के बराबर है।
और सोचने पर मजबूर कर दिया , "क्या मैं इस दिन को भूल गया ?" और सोचने पर मजबूर कर दिया , "क्या मैं इस दिन को भूल गया ?"
पता नहीं कैसी पत्रकारिता है यह, जहाँ दर्द पर मरहम नहीं, दर्द को मसालेदार बनाया जाता ह पता नहीं कैसी पत्रकारिता है यह, जहाँ दर्द पर मरहम नहीं, दर्द को मसालेदार बना...
आओ इसका सम्मान करें, माता सी मान है हिंदी। आओ इसका सम्मान करें, माता सी मान है हिंदी।
हिन्दी दिवस आज आया ,सरे हिन्द परचम लहराया! हिन्दी दिवस आज आया ,सरे हिन्द परचम लहराया!